User:Elizabeth Mathew. TEP/अभिनय के शैलियों

From Wikipedia, the free encyclopedia

आज कल के अभिनयो के प्रकार[edit]

शास्त्रीय थिएटर, यथार्थवाद थिएटर, विधि अभिनय, मैसनेर्त कनीक, प्रैक्टिकल सौंदर्य, द्वारा अवलोकन और अनुकरण, प्लास्टिक अभिनय

थिएटर के परिचय[edit]

हमे पहले आदमी से ही थिएटर के कुछ तत्वों देख सकते है क्युकि तब के समय मे कोई भाशा का इसतमाल नही होता था और वारतालाप केलिए आदमियो को अपने शरिर का इसतमाल करना पडा। यही शरिर का प्रयोग बात-चित करने केलिए और एक दुसरे को अपने भावनाएँ महसूस करवाने ताकि वह समझ सखे कि उन पर क्या बीत रही है, इसि पर हि थिएटर शुरु होता है। जैसे-जैसे दुनिया का विकसित हुआ उसी तरह थिएटर का भी विकसित हो रहा था। शरिर के इसतमाल से अभिनयो ने अब अनेक भाषाओ मे नाटक करना शुरु की थी। इसी दौरान थिएटर और उनके अभिनेतो को बेहतर बनाने केलिए कई लोग सामने आकर अपने योजना रख दी। इसी प्रकार अभिनय के शैलियों शुरु हुई। पहले थिएटर हम यूनानी मे देख सकते है, वहा से थिएटर ने रोम पहुचा और फिर सारे दुनिया को इस कला का मनुर्ंजन प्राप्त कर सकता था।

शास्त्रीय थिएटर[edit]

गिलर्मो कसास
शास्त्रीय थिएटर के तत्वों
शास्त्रीय थिएटर के तत्वों

शास्त्रीय थिएटर सबसे पहले के अभिनय शैली थी। इस थिएटर मे अभिनयो अपने शरिर का ज्यादा प्रयोग करते है जो आम आदमी के स्वभाव के साथ मिलता नही। इस मे अभिनयो का कार्रवाई ज्यादा प्रवर्धित होता है। इनके प्रमुख पटकथा लेखको; शेक्सपियर,जेन स्मिथ, जेन ऑस्टेन, जौन बरनाड, आदी। १५-१९ के सदी मे यह शास्त्रीय थिएटर सबसे प्रमुख था। इस समय थिएटर मे कोई स्त्री को अभिनेत्री बन्ने कि इजाज़त नही मिली और सारी स्त्रीयो का पाठ पुरुशो को मिला ज़्यादादार छोटे लडके हुआ करते थे। कोमेडिया डि'आर्टे थिएटर मे पहले कोई स्त्री ने भाग ली।

यथार्थवाद थिएटर[edit]

यथार्थवाद थिएटर
त्रिगोरिन् रूप कौनस्टाटिन् स्तानिसलवसकि , और मारिया रोकसनोवा , सीगल के मास्को आर्ट थियेटर के उत्पादन में
त्रिगोरिन् रूप कौनस्टाटिन् स्तानिसलवसकि , और मारिया रोकसनोवा , सीगल के मास्को आर्ट थियेटर के उत्पादन में

कौनस्टाटिन् स्तानिसलवसकि[1] वह आदमी थे जो अभिनय को एक दूसरे पडाव पर ले चला। उनका यह समझ था कि एक अभिनेता जब मंच पर जाये तब उसे यह नही लगना चाहिए कि वह कोई कागस पर लिखी गई पात्र है, बल्की उसे यह लगना चाहिए वह और वो एक ही आदमी है। इसे हासिल करने केलिए अभिनेता उस पात्र का चरित्र समझ कर अपने आप के चरित्र को एक करना होगा। इसी तरह शास्त्रीय थिएटर से अब अभिनेता अपने अभिनयो को यथार्थवाद बन्ने के प्रयास मे थे, ताकी आम लोग उनके साथ मिल सकते और वही महसूसे जो पात्र महसूस करते है। स्तानिसलवसकि ने अपने खुद का एकटिग स्कू शुरु कर दी, यथार्थवाद थिएटर के अलावा उनहोने इमप्रोवइज़ेश्न्ल थिएटर को भी शुरु किया। आज के वक्त मे भी सारे अभिनेता बेहतरिन, लाजवाब अभिनेता बनेकेलिए स्तानिसलवसकि के उपाय का प्रयोग करते है।

[edit]

जो भी हुए आज के समय अभिनय सिर्फ थिएटरो मे दिखा नही जा रहा है बल्कि प्रौद्योगिकी इतना बड चुका है की घर बेटे अपने टीवी मे फिल्म देख सकते है। पर जो भी हो,फिल्म हुए या थिएटर अभिनय तो अभिनय है, और आज भी यह दोनो सबसे प्रमुख शैली है। कई आधुनिक कलकार जैसे मार्लिन मोनरो,मार्लन ब्राण्डो, डस्टिन हॉफमैन, रॉबर्ट दे नीरो आदि आज भी यह तरकिबे इसतमाल करते है।